Monday, April 6, 2020

अनकही...


बढती धडकनोंने गुस्ताखी कर दी
हम लब सीले बैठे रहें 
और उन्होंने आंखोंसे बातें कर दी

कुछ कहेनेसे डरते रहे
जमानेसे ताउम्र छुपाते रहे
और अनकहीभी उन्होंने सुना दी

सपने छलक ना जायें
इस लियें आंखे मुॅंदते रहे
और उन्होंने नींदेही उडा दी

यह कहने जताने का किस्सा न था
वो साॅंसे लेते रहे
और हमने जिंदगी गुजार दी...

-केजो.

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